भूखे पेट देखता रहा वो आसमां को
पर आज सिर्फ चाँद ही बेल पाती है माँ
बेटे ने कहा “माँ मुझे दूध पीना है”
फटे कलेजे से उसे आँसू पिलाती है माँ
भयंकर आग लगी है एक पेट में
चूल्हे में अपना खून जलाती है माँ
आँखें धँस गयीं हैं कटोरे में
सपन-सलोने दिखा के उसे सुलाती है माँ
“आज सो जा बच्चे मेरे, कल पापा मिठाई लाएँगे”
झूठ बोलना भी सिखाती है माँ
देने को कितना कुछ होता है इसके पास
पर कभी-कभी कितनी बेबस होती है माँ