कल फिर एक सवेरा होगा,
मिल के देखेंगे एक सपना,
आधा मेरा आधा तेरा होगा |
आज के ख़ुश्क रुख़सारों पर
कल गीले मुसकुराहटों के दो छीटें फेकेंगे,
बदली में जो उम्मीद आज छुपा बैठा है
कल उसकी गुनगुनी धूप में नहाएँगे,
ताज़ी-ताज़ी चाय की चुस्की के साथ
आज की गल्तियों का कड़वा ज़ायका मिटाएँगे,
कुछ बाँसी रिशतों की गिरहें खोल
कल कुछ नए रिश्ते बुनेंगे,
बंद पड़ी थी संदूक में कुछ अनकही ख़्वाईशें
कल अपने भरी जेबों से वो बंदिशें खोलेंगे,
आज की बेपरवाही, अल्हड़पन की आँच पर
कल ज़िम्मेदारियों की रोट सेकेंगे |
आज कुछ तराने अटके रह गए थे होठों पर,
आज कुछ स़फहे अधूरे रह गए थे ज़िंदगी के,
पर कल एक मुक़म्मल सवेरा होगा,
मिल के सीचेंगे बेल खुशियों के,
वो गुलिस्ताँ थोड़ा मेरा थोड़ा तेरा होगा |
May the coming year be full of prosperity and euphoria for one and all.
Happy New Year 2013 !!