गुज़ारिश


ऐ नटखट हवा !
बहुत हुआ इस गली में अल्हड़पन तेरा,
पर मेरा यार घर की छत पे खड़ा है, अकेला है,
बेचारा एकाकी कंकड़-पत्थर से खेल रहा है,
जा मेरा एक टुकड़ा ले जा के दे उसे |

अरि ओ बरखा रानी !
मुझे प्यास नहीं तुम्हारी,
लेकिन मेरे प्रियतम को नींद नहीं आ रही,
ज़रा मेघों से बोलो उसे लोरी सुना दें |

ऐ ख़ामोशी !
अभी तेरे सिरहाने की ज़रूरत नहीं मुझे,
पर मेरा प्राणप्रिय ग़दर की आग़ोश में करवटें ले रहा है,
अपने अमृतरस का दो घूँट पिला दे उसे |

अरे ओ यादों के पंछी !
मुझे अभी भूख नहीं तेरी,
पर मेरा दोस्त खाना खाने अकेला बैठा है,
वहाँ जा के अपने हर्षगान का पंखा झलना,
तंदूर पे गरम-गरम रोटियाँ पकाना,
और उसपे मेरे स्नेह के गुड़ का ज़ायका चिपकाना |

वो चाँद अकेला है आज,
सितारे पास नहीं उसके,
अपने महताब से जिन्हें भरता था,
आज वो पीनेवाले पास नहीं उसके |

मेरे मित्रों ! अपने इस मित्र की ख़ातिर
मेरे उस मित्र के पास जाना,
उस चाँद को इस चकोर की
सकुशलता का संदेश पहुँचाना,
उसका अच्छे से ख्याल रखना,
और हो सके तो
एक प्यारी सी जादू की झप्पी देकर सुला देना ||